R.P.S.S. College Campus Hospital
राजवैद्य प्रेमशंकर शर्मा, आयुर्वेद चिकित्सालय (कॉलेज परिसर)
महाविद्यालय परिसर स्थित यह चिकित्सालय, कायचिकित्सा, पंचकर्म, शल्य, प्रसूति स्त्री रोग विषय से सम्बन्धित विभिन्न रोगों एवं जीर्ण रोगो की आयुर्वेद चिकित्सा पद्ति द्वारा उपचार का विशिष्ट केन्द्र है। इस चिकित्सालय में भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् के मानको के अनुरुप आयुर्वेद के समस्त विभागों के अनुसार पृथक-पृथक चिकित्सा की सुविधा भी उपलब्ध है। इस चिकित्सालय में कुल 100 शैय्याओं की क्षमता है, किन्तु वर्तमान में 55 शैय्याओं पर सेवाऐं उपलब्ध है। कायचिकित्सा के अन्तर्गत विशेषतः जीर्ण रोगों एवं पंचकर्म के अन्तर्गत वमन, विरेचन, बस्ति, शिरोधारा, नस्य स्वेदन आदि कर्मो के पृथक-पृथक कक्ष भी उपलब्ध है। रोगियों एवं परिजनों हेतु स्वास्थ्य, संरक्षण, संवर्धन एवं पथ्य सम्बन्धी निर्देशों हेतु महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों द्वारा तैयार, डिस्प्ले बोर्ड भी चिकित्सालय की दीवारों पर सुसज्जित हैं।
विशेष सुविधाऐं -
फिजियाथेरेपी की सभी क्रियाओं को Musculo Skeltal Disorders, व्याधि के उपरान्त स्वास्थ्य संवर्धनार्थ एवं निर्देशित व्याधियों में अनुभवी चिकित्सक के निर्देशन में किया जाता है। प्रमाण शारीरम् के अन्तर्गत शरीर की विभिन्न रचनाओं का सामान्य मापन किया जाता है, जिससे असामान्य परिणाम से व्याधि ज्ञानोपाय उपरान्त रोगियों को विशिष्ट चिकित्सा निर्देश दिया जाता है। चिकित्सालय में दंत चिकित्सक की सुविधाऐं उपलब्ध है। एक्स-रे, ई.सी.जी. एवं आधुनिक यंत्र/उपकरण से रक्त, मूत्र इत्यादि जांच सुविधाऐं उपलब्ध है। संहिता ग्रंथो में सूत्रबद्ध निर्देशों के अनुसार रोगियों को साधारण भाषा में समझा कर निर्देश दिये जाते है, जिससे कि शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो। रोगियों को चिकित्सालय में औषधियां, दूग्ध एवं निर्देशित पथ्य निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। स्वास्थ्य व्याख्यान रोगियों के शीघ्र स्वास्थ्य संवधनार्थ, विशिष्ट अनुभवी चिकित्सकों द्वारा नैतिक एवं आध्यात्मिक उद्बोधन द्वारा ज्ञानवर्धन किया जाता है। चिकित्सालय में समय-समय पर विभिन्न रोगो के उपचार हेतु शिविरों का आयोजन स्थानीय एवं सुदूर ग्रामीण एवं जनजाति क्षैत्रों में किया जाता है। शल्य विभागान्तर्गत रक्तदुष्ट व्याधियों में जलौकाचरण एवं कदर रोग का अग्नि कर्म द्वारा उपचार किया जाता है। स्नातकोत्तर एवं विद्यावारिधि में अनुसंधानित योगों का आतुरालय में सांख्यकिय दृष्टिकोण से प्रायोगिक कार्य किया जाता है, जिससे अनुसंधान के क्षैत्र में नवीन मार्ग प्रशस्त हो।