Shalya Tantra (Surgery)

शल्य विभाग भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् नई दिल्ली के मानको के अनुसार महाविद्यालय में स्नातक स्तरीय शल्य विभाग संचालित है विभाग में पृथक से विभागीय पुस्तकां का पुस्तकालय विद्यमान है। विभाग कम्प्यूटरीकृत है, तथा श्रृव्य-दृश्य के माध्यम से छात्रों को अध्यापन कराया जाता है तथा इन्टरनेट के माध्यम से आधुनिक एवं नवीनतम जानकारी से छात्रों को अवगत कराया जाता है। महाविद्यालय के अन्तर्गत संचालित दोनो चिकित्सालयों (महाविद्यालयीय चिकित्सालय मोतीचौहट्टा एवं राजवैद्य प्रेमशंकर शर्मा, आयुर्वेद कॉलेज परिसर) में स्वतंत्र रुप से अंतरंग एवं बहिरंग विभाग संचालित है। दोनो चिकित्सालयों में पृथक-पृथक नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर संचालित है। विभाग के अन्तर्गत चिकित्सालयों में विषय विशेषज्ञों द्वारा क्षारसूत्र चिकित्सा यथा- अर्श, भगन्दर, नाड़ीव्रण, चर्म, कील, आदि रोगों में क्षारसूत्र के सफल प्रयोग किया जा रहा है। अग्निकर्म चिकित्सा में विविध तप्त शलाकाओं द्वारा वैकारिक दोषों का दहन इस विधा की विशेषता है। विशेष कदर(आंटन) के उपचार में इस विधा का बहुशः प्रयोग हो रहा है। विभाग के अन्तर्गत दूषित रक्त से उत्पन्न रोगों के उपचार में रक्त विस्रावण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। रक्त विस्रावण के लिये शिरावेध प्रस्रावण व जलौका का उपयोग किया जाता है। महाविद्यालयीय चिकित्सालय में शल्य विभाग के अन्तर्गत क्षारसूत्र अग्निकर्म चिकित्सा पद्धति में विभाग के सिद्धहस्त विशेषज्ञों द्वारा सेवाऐं दी जा रही है।
S.No. | Name of Faculty | Designation |
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1. | Prof. Mahesh Dixit | Professor & H.O.D. |
2. | Dr. Hari Mohan Meena | Asso.Professor |
3. | Dr. Namo Narayan Meena | Asso. Prof. |
4. | Dr. Mukesh Meena | Lecturer |
5. | Dr. Rajesh Kumar Soni | Lecturer |